DESH BHAKTI POEM
जब सूरज जंग हो जाए अंधियार के तब दिये का टिमटिमाना जरुरी है
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में तब प्रेमी को प्रेम का बचाना जरुरी है
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का तो उसे सही रहा दिखाना जरुरी है
जब हर और फैल गई हो निराशा देश में तो क्रांति का बिगुल बजाना जरुरी है
जब नारी खुद को असाहे पाए तो उसे लक्ष्मी बाई बनाना जरुरी है
जब नेताओ के हाथ में सुरक्षित न रहे देश तो फिर सुभाष का आना जरुरी है
जब सीधे तरीके से देश न बदले तब विद्रोह जरुरी है
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